चार आने का हिसाब चार आने का हिसाब - य़ह बहुत पहले की बात है। चंदनपुर का राजा बहुत राजसी था। उनकी समृद्धि की व्यापक रूप से चर्चा होती थी। उनके महल में हर सुविधा और सुविधा उपलब्ध थी, लेकिन फिर भी उनका मन अंदर से अशांत था। उन्होंने कई ज्योतिषियों और पंडितों से इसका कारण जानने के लिए मुलाकात की । किसी ने कोई अंगूठी पहनाई तो किसी ने यज्ञ कराए, लेकिन फिर भी राजा का दुःख दूर नहीं हुआ, उसे शांति नहीं मिली। एक दिन राजा ने अपना भेष बदल लिया और अपने राज्य के दौरे पर चला गया। चलते समय, वह एक खेत के पास से गुजरा, जब उसकी नज़र एक किसान पर पड़ी। किसान फटे कपड़े पहने था और वह पेड़ की छाँव में खाना खा रहा था। किसान के कपड़ों को देखकर, राजा के मन में आया कि वह किसान को कुछ सोने के सिक्के दे, ताकि उसके जीवन में कुछ खुशियाँ आ सकें। चार आने का हिसाब - राजा ने किसान के सामने जा कर कहा - "मैं एक राहगीर हूं, मैंने आपके खेत पर इन चार स्वर्ण मुद्राओं को पाया। चूंकि यह खेत तुम्हारे है, इसलिए ये मुद्राएं तुम ही रख लो। " किसान - “ना - ना सेठ जी, ये मुद्राएँ मेरी नहीं हैं। इसे अपने पास रखें या किसी और ...
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