कोयले का एक टुकड़ा कोयले का एक टुकड़ा - आलोक एक मध्यमवर्गीय परिवार का लड़का था। वे बचपन से ही बहुत आज्ञाकारी और मेहनती छात्र था। लेकिन जब से उसने कॉलेज में दाखिला लिया, तब से उनका व्यवहार बदलने लगा था। अब न तो वह मेहनत करता था और न ही अपने माता-पिता की बात सुनता था। यहां तक कि उसने परिवार से झूठ बोलकर पैसे लेने शुरू कर दिए। उसका बदला हुआ आचरण सभी के लिए चिंता का विषय था। जब इसका कारण जानने की कोशिश की गई तो पता चला कि आलोक बुरी संगत में पड़ गया। कॉलेज में उसके कुछ दोस्त बन गए हैं, जो फालतू खर्च करते हैं, फिल्में देखते हैं और धूम्रपान करते हैं। यह जानने पर, सभी ने आलोक से ऐसी मित्रता छोड़ने और अध्ययन और लेखन पर ध्यान देने को कहा। लेकिन आलोक का इन बातों से कोई असर नहीं पड़ता, उसका एक ही जवाब होता, "मैं अच्छे और बुरे को समझता हूं, भले ही मैं ऐसे लड़कों के साथ रहता हूं। लेकिन उनका मुझ पर कोई प्रभाव नहीं है ..." कोयले का एक टुकड़ा - दिन बीतते गए और धीरे-धीरे परीक्षा के दिन आ गए। आलोक ने परीक्षा से ठीक पहले कुछ मेहनत की, लेकिन यह पर्याप्त नहीं था। वह एक वि...
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