प्यार कहते हैं, मोहब्बत केहते हैं,
कुच लॉग इसे बंदगी कहते हैं।
मगर जिन पर हैं हम मरते,
हम उन्हें जिंदगी कहते हैं।
प्यार का इजहार कर दो, अब हमसे नहीं रहा जाता,
लिखकर ही इकरार कर लो, अगर होठों पर नहीं आता।
अब तुम बताओ क्यों मुझसे दूर हो,
मिलना मंजूर नहीं या मेरी तरह मजबूर हो।
मुस्कुराते हैं तो बिजलियां गिरा देते हैं।
बात करते हैं तो दीवाना बना देते हैं।
हुस्न वालों की नजर कम नहीं कयामत से
आग पानी में वह नजरों से लगा देते हैं।
मोहब्बत के नाम से डरते थे
दिल की धड़कन धड़का गया कोई।
हम अनजाने राहों पर चल रहे थे।
अचानक ही मंजिल दिखा गया कोई।
खुदा जाने मोहब्बत का क्या दस्तूर होता है?
हम जिस से इश्क करते हैं वही हम से दूर है।
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