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दिखावे का फल मिल - dikhabe ka fal mila hindi story on self-assessment

दिखावे का फल मिला

दिखावे का फल मिल

दिखावे का फल मिला  - मैनेजमेंट की शिक्षा प्राप्त एक युवा नौजवान को बहुत अच्छी नौकरी मिलती है।

उन्हें कंपनी की ओर से काम करने के लिए एक अलग केबिन दिया जाता है।

जब युवक पहले दिन ऑफिस जाता है और बैठकर अपने शानदार केबिन को निहारता है।

तभी दरवाजे पर दस्तक देने की आवाज आती है ।

दरवाजे पर एक साधारण व्यक्ति रहता है।

लेकिन युवक ने उसे अंदर आने के लिए कहने के बजाय उसे आधे घंटे तक बाहर इंतजार करने के लिए कहता है।

आधे घंटे के बाद, आदमी फिर से केबिन के अंदर जाने की अनुमति मांगता है।

उसे अंदर आते देख युवक टेलीफोन से बात करने लगता है।

वह फोन पर बहुत सारे पैसोँ की बातेँ बोलता है।

अपनेँ ऐशो – आराम के बारे मेँ कई प्रकार की हाँकनेँ लगता है, 

सामने वाला व्यक्ति उसकी सारी बातें सुन रहा है।

लेकिन वह युवक फोन पर जोर-जोर से डींग मारता जारी रखता है।

जब उसकी बात खत्म हो जाती है, तो वह सामान्य व्यक्ति से पूछता है कि आप यहाँ क्या करने आए हैं?

युवक को विनम्रता से देखता हुआ व्यक्ति बोला, “सर, मैं यहाँ टेलीफोन की मरम्मत करने आया हूँ।

मुझे खबर मिली है कि जिस टेलीफोन से आप बात कर रहे थे वह एक सप्ताह से बंद है।

इसलिए मैं इस टेलीफोन को सुधारने आया हूं। "

यह सुनते ही युवक शर्म से लाल हो जाता है और चुपचाप कमरे से बाहर निकल जाता है।

उन्होंने अपने दिखावे का फल मिल चुका होता है।

दिखावे का फल मिला - 

कहानी का सार यह है कि जब हम सफल होते हैं, तो हमें खुद पर बहुत गर्व होता है और यह स्वाभाविक भी है।

गर्व करनेँ से हमे स्वाभिमानी होने का एहसास होता है लेकिन थोड़ी देर के बाद, यह अहंकार का रूप ले लेता है।

और आपको गर्व का अहसास हो जाता है और जैसे ही आपको गर्व होता है आप दूसरों के सामने दिखावा करना शुरू कर देते हैं।

इसलिए, हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि हम चाहे कितने भी सफल हों, हमें व्यर्थ अहंकार और झूठे दिखावे में नहीं पड़ना चाहिए।

अन्यथा, उस युवक की तरह, हमें भी किसी समय शर्मिंदा होना पड़ सकता है।

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