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गणेश puja2020 ki sab se saral bidhi( upaya) janiye humare sath

श्रीगणेश पूजन की सबसे सरल विधि


गणेश puja ki sab se saral bidhi( upaya) janiye humare sath

गणेश पूजन अपने आपमें बहुत ही महत्वपूर्ण व कल्याणकारी है।

चाहे वह किसी कार्य की सफलता के लिए हो

या फिर चाहे किसी कामनापूर्ति स्त्री, पुत्र, पौत्र, धन, समृद्धि के लिए

या फिर अचानक ही किसी संकट मे पड़े हुए दुखों के निवारण हेतु हो।

- अर्थात्‌ जब कभी किसी व्यक्ति को किसी अनिष्ट की आशंका हो या उसे नाना प्रकार के शारीरिक या आर्थिक कष्ट उठाने पड़ रहे हो

तो उसे श्रद्धा एवं विश्वासपूर्वक किसी योग्य व विद्वान ब्राह्मण के सहयोग से श्रीगणपति प्रभु व शिव परिवार का व्रत, आराधना व पूजन करना चाहिए।

   गणेश चतुर्थी को पत्थर चौथ और कलंक चौथ के नाम भी जाना जाता है।

प्रति वर्ष यह  भाद्रपद मास को शुक्ल चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है।

चतुर्थी तिथि को श्री गणपति भगवान की उत्पत्ति हुई थी इसलिए इन्हें यह तिथि अधिक प्रिय है।

जो विघ्नों का नाश करने वाले और ऋद्धि-सिद्धि के दाता हैं।

इसलिए इन्हें सिद्धि विनायक भगवान भी कहा जाता है।


गणेश puja ki sab se saral bidhi( upaya) janiye humare sath


गणेश पूजन की आसान विधि :

* पूजन से पहले नित्यादि क्रियाओं से निवृत्त होकर शुद्ध आसन में बैठकर सभी पूजन सामग्री को एकत्रित कर

पुष्प, धूप, दीप, कपूर, रोली, मौली लाल, चंदन, मोदक आदि एकत्रित कर क्रमश: पूजा करें।

* भगवान श्रीगेश को तुलसी दल व तुलसी पत्र नहीं चढ़ाना चाहिए।

उन्हें, शुद्ध स्थान से चुनी हुई दुर्वा को धोकर ही चढ़ाना चाहिए।

*  भगवान को मोदक (लड्डू) अधिक प्रिय होते हैं इसलिए उन्हें देशी घी से बने मोदक का प्रसाद भी चढ़ाना चाहिए।

* श्रीगणेश के दिव्य मंत्र ॐ श्री गं गणपतये नम: का 108 बार जप करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।

* गणेश सहित प्रभु शिव व गौरी, नन्दी, कार्तिकेय सहित सम्पूर्ण शिव परिवार की पूजा षोड़षोपचार विधि से करना चाहिए।

* व्रत व पूजा के समय किसी प्रकार का क्रोध व गुस्सा न करें। यह हानिप्रद सिद्ध हो सकता है।

* श्रीगणेश का ध्यान करते हुए शुद्ध व सात्विक चित्त से प्रसन्न रहना चाहिए।

* शास्त्रानुसार श्रीगणेश की पार्थिव प्रतिमा बनाकर उसे प्राणप्रति‍ष्ठित कर पूजन-अर्चन के बाद विसर्जित कर देने का आख्यान मिलता है।

किन्तु भजन-कीर्तन आदि आयोजनों और सांस्कृतिक आयोजनों के कारण भक्त 1, 2, 3, 5, 7, 10 आदि दिनों तक पूजन अर्चन करते हुए प्रतिमा का विसर्जन करते हैं।

गणेश पूजन की आसान विधि :

* किसी भी पूजा के उपरांत सभी आवाहित देवताओं की शास्त्रीय विधि से पूजा-अर्चना करने के बाद उनका विसर्जन किया जाता है,

किन्तु श्री लक्ष्मी और श्रीगणेश का विसर्जन नहीं किया जाता है।

इसलिए श्रीगणेश जी की प्रतिमा का विसर्जन करें,

किन्तु उन्हें अपने निवास स्थान में श्री लक्ष्मी जी सहित रहने के लिए निमंत्रित करें।

* पूजा के उपरांत सभी देवी-देवताओं का स्मरण करें। हो सके तो जय-जयकार करें।

अपराध क्षमा प्रार्थना करें, सभी अतिथि व भक्तों का यथा व्यवहार स्वागत करें।

* पूजा कराने वाले ब्राह्मण को संतुष्ट कर यथा विधि पारिश्रामिक (दान) आदि दें,

उन्हें प्रणाम कर उनका आशीर्वाद प्राप्त कर दीर्घायु, आरोग्यता, सुख, समृद्धि, धन-ऐश्वर्य आदि को बढ़ाने के योग्य बनें।

भारतीय धर्म संस्कृति में किसी कार्य की सफलता हेतु पहले मंगलाचरण या फिर पूज्य देवों के वंदना की परंपरा रही है।

किसी कार्य को सुचारू रूप से निर्विघ्नपूर्वक संपन्न करने हेतु सर्वप्रथम श्रीगणेश जी की वंदना व अर्चना का विधान है।

इसीलिए सनातन धर्म में सर्वप्रथम श्रीगणेश की पूजा से ही किसी कार्य की शुरुआत होती है।

जो भी भक्त भगवान गणेश का व्रत या पूजा करता है उसे श्रीगणेश प्रभु की कृपा और मनोवांछित फल

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