साधु की सीख
साधु की सीख - एक गाँव में एक साधु हुआ करता था, वह जब भी नृत्य करता था तो बारिस होती थी।
इसलिए जब भी गाँव के लोगों को बारिस की आवश्यकता होती,
वे साधु के पास जाते और उनसे नृत्य करने का अनुरोध करते,
और जब वह नृत्य करते थे, तो बारिश अवश्य होती थी।
कुछ दिनों बाद, चार लड़के शहर से गांव का दौरा करने आए,
जब उन्हें पता चला की किसी साधू के नाचने से बारिस होती है तो उन्हें यकीन नहीं हुआ
शहरी अध्ययन के गर्व में, उन्होंने गाँव वालों को चुनौती दी कि
यदि हम भी नृत्य करेंगे, तो यह बारिश होगी
और यदि हमारे नाचने से नहीं हुई तो उस साधु के नाचने से भी नहीं होगी।
फिर क्या था अगले दिन सुबह गाँव वाले उन लड़कों को लेकर वे साधु की कुटिया में पहुँचे।
साधु की सीख:-
साधु को पूरी बात बताई गई, फिर लड़के नाचने लगे, आधा घंटा बीत गया और पहला लड़का थक कर बैठ गया लेकिन पर बादल नहीं दिखे,
थोड़ी देर बाद दूसरे ने भी ऐसा ही किया और एक घंटे के बाद दूसरे दो लड़के भी थक गए । लेकिन बारिश नहीं हुई।
अब साधु की बारी थी, उसने नाचना शुरू कर दिया, एक घंटा बिताया, बारिश नहीं हुई, साधु नाचता रहा ...
दो घंटे तक बारिश नहीं हुई ...।
लेकिन साधु रुकने का नाम नहीं ले रहा था, धीरे-धीरे शाम होने लगी तो बादलों की गड़गड़ाहट सुनाई दी और जोरदार बारिश होने लगी।
लड़के दंग रह गए
और तुरंत साधु से क्षमा मांगी और पूछा-
" बाबा भला ऐसा क्यों हुआ कि हमारे नाचने से बारिस नहीं हुई और आपके नाचने से हो गयी ?”
साधु ने उत्तर दिया - "जब मैं नाचता हूं, तो मैं दो चीजों का ध्यान रखता हूं, पहली बात तो मुझे लगता है कि अगर मैं नृत्य करता हूं, तो बारिस को होना होगा
और दूसरी बात, मैं तब तक नाचूंगा जब तक कि बारिस नहीं हो जाता।"
साधु की सीख:-
दोस्तों, सफलता प्राप्त करने वालों में भी यही गुण मौजूद होता है, वे उन चीजों में सफल होने के लिए आश्वस्त होते हैं जो वे करते हैं
और जब तक वे उसमें सफल नहीं हो जाते, तब तक वे उस काम को करते हैं।
इसलिए, यदि हम सफलता प्राप्त करना चाहते हैं, तो हमें उस साधु की तरह अपने लक्ष्य को प्राप्त करना होगा।
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