कौवे का घमंड टूटा
कौवे का घमंड - समुद्र तट पर हंसों का झुंड गुजर रहा था, उसी स्थान पर एक कौवा भी मस्ती कर रहा था।
उसने हंसों को उपेक्षा भरी नज़रों से देखा, "तुम लोग कितनी अच्छी उड़ान भर लेते हो!" कौआ ने मजाक में कहा,
"तुम लोग और क्या ही कर सकते हो? बस अपना पंख फड़फड़ा कर उड़ान भर सकते हो !!! क्या तुम मेरी तरह फूर्ती से उड़ सकते हो ???
क्या तुम मेरी तरह हवा में कलाबाजी दिखा सकते हो ??? नहीं, तुम्हें पता भी नहीं है " वास्तव में उड़ान किसे कहलाती है! "
कौआ की बात सुनकर एक बूढ़े हंस ने कहा, "यह अच्छा है कि तुम यह सब करते हो, लेकिन तुम्हें इसके बारे में घमंड नहीं करना चाहिए।"
कौवे का घमंड :-
"मैं घमंड – वमंड नहीं जानता, अगर आप में से कोई भी मेरे साथ मुकाबला कर सकता है, तो आगे आकर मुझे हराकर दिखाओ।"
एक युवा नर हंस ने कौवे की चुनौती को स्वीकार कर लिया। यह तय किया गया कि प्रतियोगिता दो चरणों में होगी,
पहले चरण में कौवा अपनी चाल दिखाएगा और हंस को भी ऐसा ही करना होगा और दूसरे चरण में कौवे को हंस की करतब को दोहराना होगा।
प्रतियोगिता शुरू हुई, पहले चरण को कौवे ने शुरू किया
और एक से बढ़कर एक कलाबाजी दिखाना शुरू किया, वह कभी-कभी गोल-गोल घूमता था और तो कभी ज़मीन छूते हुए ऊपर उड़ जाता।
वहीँ हंस इसके मुकाबले कुछ खास नहीं कर सका। कौवा अब और भी ज्यादा बोलने लगा, "मैं तो पहले ही कह रहा था कि तुम लोग कुछ नहीं जानते ... ही ही ही ..."
फिर दूसरा चरण शुरू हुआ, हंस ने उड़ान भरी और समुद्र की ओर उड़ने लगा। कौवा भी उसके पीछे हो लिया,
" ये कौन सा कमाल दिखा रहे हो, भला सीधे -सीधे उड़ना भी कोई चुनौती है ??? " सचमुच तुम मूर्ख हो! ”, कौआ बोला।
कौवे का घमंड :-
लेकिन हंस ने कोई जवाब नहीं दिया और चुपचाप उड़ता रहा,
धीरे-धीरे वे जमीन से बहुत दूर निकल गए और कौवा का चीखना भी कम हो गया,
और थोड़ी देर में पूरी तरह से रुक गया।
कौआ अब बहुत थक गया था, इतना कि अब उसके लिए खुद को हवा में रखना मुश्किल हो गया था
और वह बार-बार पानी के करीब जा रहा था। हंस कौवे की स्थिति को समझ रहा था, लेकिन वह अनजान बनते हुए बोला,
"आप बार-बार पानी क्यों छू रहे हैं, क्या यह भी आपका एक करतब है?" "नहीं" कौवा बोला,”मुझे माफ़ कर दो, मैं अब बिलकुल थक चूका हूँ
और यदि तुमने मेरी मदद नहीं की तो मैं यहीं दम तोड़ दूंगा…मुझे बचा लो मैं कभी घमंड नहीं दिखाऊंगा….”
हंस को कौआ पर दया आ गई, उसने सोचा कि कौवा ने सबक सीख लिया है,
अब उसकी जान बचाना बेहतर होगा और वह कौवा की पीठ पर बैठकर वापस किनारे की ओर उड़ चला।
कौवे का घमंड निष्कर्ष :-
दोस्तों, हमें यह समझना चाहिए कि भले ही हम नहीं जानते हों,
हर किसी के पास कुछ गुण होते हैं जो इसे विशेष बनाते हैं।
और भले ही हममें हजारों भलाई हो, अगर हम इस बारे में घमंड करते हैं,
तो जल्द ही हमें भी कौवे की तरह शर्मिंदा होना पड़ेगा।
एक पुरानी कहावत भी है, "गर्व का भाव हमेशा कम होता है।"
इसलिए ध्यान रखें कि कहीं जाने -अनजाने आप भी कौवे वाली गलती तो नहीं कर रहे हैं।
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