गेंद काला है या सफेद
गेंद काला है या सफेद - जब मास्टरजी क्लास में पढ़ा रहे थे, तभी पीछे से दो बच्चों के बीच झगड़े की आवाज़ आने लगी।
"क्या हुआ, तुम इस तरह से क्यों लड़ रहे हो?" मास्टरजी ने पूछा।
आकाश : सर, आलोक अपनी कही गई बातों पर अड़ा हुआ है और मेरी बात सुनने को तैयार नहीं है।
आलोक : नहीं सर, आकाश जो कह रहा है वो पूरी तरह से गलत है, इसलिए उसे सुनने से कोई फायदा नहीं है।
और यह कह कर उन्होंने फिर से तू-तू मैं-मैं करना शुरू कर दिया।
मास्टरजी ने उन्हें बीच में ही रोक दिया और कहा, "एक मिनट तुम दो मेरे यहाँ आओ। आकाश तुम डेस्क के बाईं ओर खड़े हो और आलोक तुम दाईं ओर।"
इसके बाद, मास्टरजी ने एक बड़ी गेंद को कवर्ड से निकाला और उसे डेस्क के बीच में रख दिया।
गेंद काला है या सफेद -
मास्टरजी : आकाश, यह बताओ कि यह गेंद किस रंग की है।
आकाश : जी , यह सफेद है।
मास्टरजी : आलोक , बताओ ये बॉल किस रंग की है?
आलोक : जी, बिलकुल काला है।
दोनों अपने जवाब को लेकर पूरी तरह आश्वस्त थे कि उनका जवाब सही है।
और एक बार फिर वे गेंद के रंग को लेकर एक दूसरे से बहस करने लगे।
मास्टरजी ने उन्हें शांत किया और कहा, "ठहरो, अब तुम दोनों अपनी जगह बदलो और फिर बताओ कि गेंद किस रंग की है?"
दोनों ने ऐसा ही किया, लेकिन इस बार उनके जवाब बदल गए थे।
आकाश ने कहा कि गेंद का रंग काला है और आलोक ने सफेद कहा।
गेंद काला है या सफेद -
अब मास्टरजी ने गंभीर होते हुए कहा, “बच्चे, यह गेंद दो रंगों से बनी है और जिस तरह से यह एक जगह पर काली और दूसरी जगह से देखने पर सफेद दिखती है।
इसी तरह, हमारे जीवन में हर चीज को एक अलग नजरिए से भी देखा जा सकता है।
यह आवश्यक नहीं है कि जिस तरह से आप किसी चीज़ को देखते हैं, उसी तरह से दूसरे उसे देखे।
इसलिए अगर किसी भी समय हमारे बीच विचारों को लेकर मतभेद हो, तो यह मत सोचो कि सामने वाला पूरी तरह से गलत है।
बल्कि, उसके दृष्टिकोण से चीजों को देखने और उसे अपना दृष्टिकोण समझाने की कोशिश करें।
तभी आप एक सार्थक संवाद कर सकते हैं। "
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें