दो मुर्ख गधे
दो मुर्ख गधे - एक बार दो गधे उनकी पीठ पर बोझा उठाये जा रहे थे। उन्हें एक लंबा रास्ता तय करना था।
एक गधे के पीठ पर नमक की भारी बोरियां लदी हुई थीं, तो एक की पीठ पर रूई की बोरियां लदी हुई थीं।
जिस रास्ते से वो जा रहे थे उस बीच में एक नदी पडा । नदी के ऊपर रेत की बोरियों का कच्चा पुल बना हुआ था
जिस गधे की पीठ पर नमक की बोरियां थीं, उसका पैर बुरी तरह से फिसल गया और वह नदी के अंदर गिर गया।
नदी में गिरते ही नमक पानी में घुल गया और उसका वजन हल्का हो गया।
वह इस बात को बहुत खुशियों से दुसरे गधे को बताया ।
दुसरे गधे ने सोचा कि यह एक बढ़िया उपाय है । ऐसी स्थिति में, मैं अपने वजन को भी कम कर सकता हूं।
और वह बिना सोचे पानी में कूद गया। लेकिन रूई के पानी सोख लेने के कारण, उसका वजन बहुत बढ़ गया है।
जिसके कारण वह मूर्ख गधा पानी में डूब गया।
एक संत अपने शिष्यों के साथ इस पूरी किस्सा को देख रहा थे ।
उन्हने अपने शिष्यों से कहा, मनुष्य को हमेशा अपना विवेक जागृत रखना चाहिए।
बिना अपनी बुद्धि लगाए दूसरों की नकल कर वैसा ही करने वाले सदा उपहास के पात्र बनते हैं।
दो मुर्ख गधे -
दोस्तों इसे हमारे वास्तविक जीवन में भी लागू होती हैं।
किसी को एक क्षेत्र में सफल होते देख, हम उसे कॉपी करना शुरू करते हैं।
हमें लगता है कि यदि एक बांदा अपने क्षेत्र में सफल हो गया।
तो हमें भी उस क्षेत्र में सफलता मिलेगी।
लेकिन हम शायद उसके पीठ पर नमक की बोरी पर ध्यान नहीं देते हैं।
इसका मतलब है कि उसकी रुचि अलग है।
और भूलवश हम रूई की बोरी को लादे छलांग लगा देते हैं ।
मतलब दूसरा टैलेंट या इंटरेस्ट को लादे उस क्षेत्र में सफल होने का ख्वाब देखते है।
और आखिरकार हमें पछतावा करना पड़ता हे।
इसलिए , दूसरों को देखकर सीखना ठीक है ।
पर उनका आंखे बंदकरके अनुसरण करना उस मूर्ख गधे के समान व्यवहार करना है।
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