बन्दर का सिख
बन्दर का सिख - वानरों का सरदार अपने बच्चे के साथ एक बड़े पेड़ की डाली पर बैठा था।
बच्चे ने कहा, "मुझे भूख लगी है, क्या आप मुझे खाने के लिए कुछ पत्ते दे सकते हैं?"
बंदर मुस्कुराया, "मैं दे सकता हूं, लेकिन बेहतर होगा कि तुम अपने लिए पत्ते तोड़ लो ।"
लेकिन मैं अच्छे पत्ते कोनसा हे नहीं जानता।", बच्चे ने उदास होकर कहा।
"तुम्हारे पास एक विकल्प है," बंदर ने कहा।
इस पेड़ को देखो, तुम चाहें तो निचली शाखाओं से पुराने सख्त पत्ते चुन सकते हैं या ऊपर की पतली शाखाओं पर उगने वाले ताजे और मुलायम पत्ते खा सकते हो ।
बच्चे ने कहा, "यह सही नहीं है, ये अच्छे पत्ते नीचे क्यों नहीं उगते ताकि हर कोई इन्हें आसानी से खा सके।"
बात यही है कि अगर वे सभी के पहुँच में होतीं , तो वे कहां उपलब्ध हो पाती। बड़े होने से पहले ही उन्हें तोड़कर खा लिया जाता!", बंदर ने समझाया।
"लेकिन इन पतली शाखाओं पर चढ़ना खतरनाक हो सकता है।
शाखा टूट सकती है, मेरा पैर फिसल सकता है, मैं नीचे गिर सकता हूं और चोट लग सकती है ...", बच्चे ने अपनी चिंता व्यक्त की।
बन्दर का सिख -
बंदर ने कहा, "सुनो बेटा, एक बात हमेशा याद रखना, खतरा अक्सर हमारे दिमाग में जो तस्वीर बनती है, उससे कम होता है।"
"लेकिन अगर ऐसा है, तो हर बंदर उन शाखाओं से ताजी पत्तियों को तोड़कर क्यों नहीं खाता?" बच्चे ने पूछा।
बंदर ने सोचकर कहा, "क्योंकि ज्यादातर बंदरों को डर में जीने की आदत हो गई है।
वे सड़े हुए पत्ते खाकर शिकायत करना पसंद करते हैं।
लेकिन कभी भी जोखिम नहीं उठाते हैं और जो वे वास्तव में चाहते हैं उसे पाने की कोशिश नहीं करते हैं।
लेकिन तुम ऐसा न करना, यह जंगल संभावनाओं से भरा है।
अपने डर पर विजय प्राप्त करें और वह जीवन जिएं जो आप वास्तव में जीना चाहते हैं!
बच्चा समझ गया था कि क्या करना है।
उसने तुरंत अपने डर को पीछे छोड़ दिया और ताजी कोमल पत्तियों से अपनी भूख मिटा दी।
बन्दर का सिख -
दोस्तों अगर हम अपने जीवन में देखें तो हमें यह भी पता चलेगा कि हम किस तरह के पत्ते खा रहे हैं, सड़ा हुआ या ताजा।
हमें यह भी समझना होगा कि हम अपने दिमाग में जो खतरे की तस्वीर बनाते हैं, वह अक्सर उससे काफी कम होती है।
आप ही ख़तरे को बड़ा बनाकर; डर कर बैठे रहना कहाँ की समझदारी है ?
यदि आपके कुछ सपने हैं, कुछ ऐसा है जो आप वास्तव में करना चाहते हैं, तो उसे ज़रूर करें।
आपका साहस ही आपको मनचाहा जीवन दे सकता है, डर कर मत बैठिये !
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें