गणेश उत्सव का पढ़ें 7 अहम बातें
गणेश चतुर्थी :-
1. गणेश चतुर्थी 'विनायक चतुर्थी' के नाम से भी जानी जाती है।
2 . भाद्रपद चतुर्थी तिथि से दस दिन तक अर्थात अनंत चतुर्दशी तक गणेश उत्सव मनाया जाता है।
3. यह उत्सव महाराष्ट्र में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है लेकिन अब दक्षिण भारत व उत्तर भारत में भी बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है।
लोग श्रद्धा से गणेश जी की मूर्ति की स्थापना अपने घर, गली, मोहल्ले में करते हैं
और रोज उनकी पूजा, आरती व रंगारंग कार्यक्रमों से वातावरण को भक्तिमय बना देते हैं।
4. तीन, पांच या दस दिन बाद मूर्ति का विसर्जन किया जाता है।
विसर्जन करने के पीछे मान्यता है कि जिस प्रकार मेहमान घर में आते हैं तो
कुछ लेकर आते हैं इसी प्रकार भगवान को भी हम हर वर्ष अपने घर बुलाते हैं,
वे घर में पधारते हैं तो जरूर सभी के लिए कुछ न कुछ लेकर आते हैं इस प्रकार घर में खुशहाली व सुख-समृद्धि कायम रहती है।
गणेश चतुर्थी :-
5. गणपति - गण+पति। 'पति' यानी पालन करने वाला।
'गण' शब्द के विभिन्न अर्थ हैं - महर्षि पाणिनि अनुसार : 'गण, यानी अष्टवस्तुओं का समूह।
वसु यानी दिशा, दिक्पाल (दिशाओं का संरक्षक) या दिक्देव। अतः गणपति का अर्थ हुआ दिशाओं के पति, स्वामी।
6. गणपति की अनुमति के बिना किसी भी देवता का कोई भी दिशा से आगमन नहीं हो सकता,
इसलिए किसी भी मंगल कार्य या देवता की पूजा से पहले गणपति पूजन अनिवार्य है।
गणपति द्वारा सर्व दिशाओं के मुक्त होने पर ही पूजित देवता पूजा के स्थान पर पधार सकते हैं।
इसी विधि को महाद्वार पूजन या महागणपति पूजन कहते हैं।
7 . भगवान गणपति का पूजन किए बगैर कोई कार्य प्रारंभ नहीं होता।
विघ्न हरण करने वाले देवता के रूप में पूज्य गणेश जी सभी बाधाओं को दूर करने तथा मनोकामना को पूरा करने वाले देवता हैं।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें