मैं ऐसा क्यों हूँ?
मैं ऐसा क्यों हूँ - मिट्टू तोता बहुत उदास बैठा था। माँ ने पूछा, "क्या हुआ बेटा, तुम इतने उदास क्यों हो?"
मुझे इस अजीब चोंच से नफरत है !! ”, मिट्टू ने लगभग रोते हुए कहा।
तुम अपनी चोंच से नफरत क्यों करते हो ?? बहुत खूबसूरत तो है ! ”, माँ ने समझाने की कोशिश की।
नहीं, बाकी सभी पक्षियों की चोंच बहुत अच्छी होती है।
बिरजू चील, कालू कौआ, कल्कि कोयल… सबकी चोंच मुझसे बेहतर है…. पर मैं ऐसा क्यों हूँ? ”, मिट्टू उदास होकर बैठ गया।
माँ कुछ देर शांति से बैठी रही, उसने भी सोचा कि शायद मिट्टू ठीक कह रहा है।
मिट्टू को कैसे समझाऊँ!
फिर उसने सोचा कि क्यों ना मिट्ठू को ज्ञानी काका के पास भेज दिया जाए, जो पूरे जंगल में सबसे समझदार तोते के रूप में जाने जाते थे।
माँ ने तुरंत मिट्टू को काका के पास भेज दिया।
मैं ऐसा क्यों हूँ -
ज्ञानी काका जंगल के बीच में एक बहुत पुराने पेड़ की डाल पर रहते थे।
मिट्टू उनके सामने बैठ गया और पूछा, "काका, मुझे एक समस्या है!"
काका ने कहा, "मेरे प्यारे बचे , तुम्हें क्या समस्या है, मुझे बताओ।"
मिट्टू कहने लगा, "मुझे अपनी चोंच पसंद नहीं है, यह बहुत अजीब लगता है।"
बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता... मेरे दोस्त, बिरजू बाज़, कालू कौआ, कल्कि कोयल... हर किसी की चोंच खूबसूरत है।
काका ने कहा, "तो यह है, उनकी चोंच अच्छी है... अच्छा! तुम बताओ, क्या तुम्हें केंचुए और कीड़े-मकोड़े पसंद हैं?"
छी… मैं ऐसी बेकार चीजें कभी नहीं खाता…”, मिट्टू ने जल्दी से जवाब दिया।
अच्छा, क्या तुम्हे मुझे मछली खिलाईं तो….? "काका ने पूछा।
" या आपको खरगोश और चूहे परोसे जाएँ तो",
वक्का…. काका, कैसी बात कर रहे हो? मैं तोता हूँ… ये सब खाने को नहीं बना हूँ…”, मिट्टू ने गुस्से में कहा।
मैं ऐसा क्यों हूँ -
"बिल्कुल सही", काका ने कहा, "यही तो मैं तुम्हें समझाना चाहता था। भगवान ने आपको एक अलग तरीके से बनाया है।
जो तुम पसंद करते हो , वो तुम्हारे दोस्तों को पसंद नहीं आएगा , और जो तुम्हारे दोस्त पसंद करते हैं वो तुम्हे नहीं भायेगा ।
सोचो अगर आपकी चोंच ऐसी नहीं होती तो क्या आप अपना मनपसंद ब्राजीलियन नट खा पाते... नहीं!
इसलिए दूसरे के पास क्या है - क्या नहीं, इस बारे में सोचने में अपना जीवन व्यतीत न करें।
बस यह जानें कि आप जिन गुणों के साथ पैदा हुए हैं, उनका सर्वोत्तम उपयोग कैसे किया जा सकता है। और उसे अधिक से अधिक विकसित किया जा सकता है!
मिट्टू काका की बात समझ गया था, वह खुशी-खुशी अपनी माँ के पास लौट आया।
मैं ऐसा क्यों हूँ -
मिट्टू तोते की तरह, कई लोग अक्सर अपने सकारात्मक points को गिनकर खुश होने के बजाय दूसरों के गुणों और उपलब्धियों को देखते हैं।
दोस्तों, दूसरों को देखकर कुछ सीखना और कुछ आगे बढ़ने के लिए प्रेरित होना ठीक है। पर बेकार के कंपैरिजन कर किसी से ईर्ष्या करना हमें निराश ही करता है ।
हमें यह समझना चाहिए कि हम सभी अपने आप में अद्वितीय हैं।
और हमारे पास जो योग्यताएं और गुण हैं, उनका उपयोग करके हम अपने जीवन को सार्थक बना सकते हैं!
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